अमेरिका ने चीन को होने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मेमोरी चिप्स और सेमीकंडक्टर उपकरणों की बिक्री पर और भी सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये प्रतिबंध चीन की तकनीकी प्रगति को रोकने की अमेरिका की कोशिशों का हिस्सा हैं।
अमेरिका को डर है कि चीन इन उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल अपनी सेना को मजबूत बनाने के लिए कर सकता है। इसीलिए अमेरिका अपने कड़े प्रतिबंधों के ज़रिए चीन तक इन तकनीकों की पहुँच को सीमित करना चाहता है।
हालांकि, अमेरिका ने पहले जिन कुछ सख्त कदमों पर विचार किया था, उनसे ये नए प्रतिबंध थोड़े कम सख्त हैं। अमेरिका ने जापान और नीदरलैंड जैसे अपने सहयोगियों के साथ बातचीत के बाद और अमेरिकी चिप उपकरण निर्माताओं की पैरवी के बाद इन प्रतिबंधों में कुछ बदलाव किए हैं।
मुख्य जानकारी :
- अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी वर्चस्व की लड़ाई तेज़ होती जा रही है।
- अमेरिका के ये नए प्रतिबंध सेमीकंडक्टर उद्योग में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
- चीन की तकनीकी कंपनियों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो सकता है।
- भारत जैसे देशों के लिए यह एक अवसर हो सकता है कि वे सेमीकंडक्टर निर्माण में अपनी भूमिका बढ़ाएँ।
निवेश का प्रभाव :
- सेमीकंडक्टर सेक्टर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
- जिन कंपनियों का चीन के साथ व्यापार ज़्यादा है, उनके शेयरों में गिरावट आ सकती है।
- भारतीय सेमीकंडक्टर कंपनियों के लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है।
- निवेशकों को सावधानी से कदम उठाने चाहिए और बाज़ार पर नज़र रखनी चाहिए।
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