चीन ने अमेरिका को जर्मेनियम और गैलियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का निर्यात रोक दिया है। ये खनिज कंप्यूटर चिप्स, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक गाड़ियों जैसे कई ज़रूरी उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल होते हैं। चीन का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़रूरी है, लेकिन कई लोग इसे अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों का जवाब मान रहे हैं।
इससे दुनिया भर में इन खनिजों की कीमतें बढ़ सकती हैं और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की सप्लाई चेन में दिक्कत आ सकती है। भारत जैसे देशों को भी इसका असर झेलना पड़ सकता है, क्योंकि हम कई इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिए चीन पर निर्भर हैं।
मुख्य जानकारी :
- चीन का दबदबा: चीन दुनिया में जर्मेनियम और गैलियम का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस फैसले से दुनिया भर में इन खनिजों की सप्लाई पर असर पड़ेगा।
- तकनीकी जंग: अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी क्षेत्र में चल रही ‘कोल्ड वॉर’ का यह एक और उदाहरण है।
- भारत पर असर: भारत भी चीन से ये खनिज आयात करता है, इसलिए हमें भी इसका नुकसान हो सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- कीमती धातुओं में तेज़ी: जर्मेनियम और गैलियम की कीमतें बढ़ सकती हैं, इसलिए इनसे जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेज़ी आ सकती है।
- भारतीय कंपनियों पर असर: जो भारतीय कंपनियां चीन से ये खनिज आयात करती हैं, उनके लाभ में कमी आ सकती है।
- नए मौके: भारत के लिए यह एक मौका भी है कि वह इन खनिजों का अपना उत्पादन बढ़ाए और चीन पर निर्भरता कम करे।