न्यू यॉर्क में कोको की क़ीमतें बढ़कर अपने सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच गई हैं। इसका मतलब है कि आगे चलकर चॉकलेट और दूसरी चीज़ें जिनमें कोको इस्तेमाल होता है, महंगी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कोको की पैदावार कम होने की आशंका है, जबकि इसकी माँग अभी भी ज़्यादा है।
पश्चिमी अफ़्रीका, जहाँ दुनिया का सबसे ज़्यादा कोको उगाया जाता है, वहाँ मौसम शुष्क रहा है जिससे फ़सल को नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा, दुनिया भर में चॉकलेट की माँग अभी भी अच्छी है, खासकर त्योहारों के मौसम में।
मुख्य जानकारी :
- कोको की क़ीमतों में यह तेज़ी पिछले कुछ महीनों से देखी जा रही है और यह आगे भी जारी रह सकती है।
- कोको उत्पादक देशों, जैसे आइवरी कोस्ट और घाना, में मौसम का असर क़ीमतों पर साफ़ दिख रहा है।
- चॉकलेट बनाने वाली कंपनियों को कोको की बढ़ती क़ीमतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर उनके मुनाफ़े पर पड़ सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- अगर आप कोको से जुड़ी कंपनियों में निवेश करते हैं, तो यह आपके लिए अच्छी खबर हो सकती है क्योंकि उनकी कमाई बढ़ सकती है।
- लेकिन, चॉकलेट और दूसरी कोको उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में गिरावट आ सकती है क्योंकि उन्हें कच्चे माल की ज़्यादा क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
- अगर आप लंबे समय के लिए निवेशक हैं, तो यह सोचने का अच्छा समय है कि क्या आप अपने पोर्टफ़ोलियो में कोको से जुड़े शेयर रखना चाहते हैं या नहीं।
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