भारतीय स्टील कंपनियां चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से सस्ते स्टील के आयात पर अस्थायी कर लगाने के लिए सरकार से गुहार लगा रही हैं। उनका कहना है कि इन देशों से सस्ता स्टील आने से भारतीय स्टील कंपनियों को नुकसान हो रहा है और घरेलू उद्योग को बचाने के लिए यह कदम ज़रूरी है।
स्टील मंत्रालय भी इस बात से सहमत है कि आयात पर रोक लगाने के लिए कुछ कदम उठाने की ज़रूरत है। अधिकारियों का मानना है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो स्थानीय स्टील की कीमतें गिर सकती हैं और स्टील कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है।
टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और आर्सेलर मित्तल निप्पन स्टील जैसी बड़ी कंपनियों ने इस बारे में अपनी चिंता जताई है।
मुख्य जानकारी :
- चीन से सस्ते स्टील के आयात में बढ़ोतरी हो रही है जिससे भारतीय स्टील कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा स्टील उत्पादक है, लेकिन मार्च 2024 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में भारत स्टील का शुद्ध आयातक बन गया।
- सरकार आयात पर अस्थायी “सुरक्षा शुल्क” लगाने पर विचार कर रही है।
- इस शुल्क से चीन से आयात कम करने में मदद मिल सकती है।
- जापान और दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के कारण, मूल आयात शुल्क या सीमा शुल्क बढ़ाने का विकल्प नहीं है।
- एंटी-डंपिंग जांच में एक से दो साल लगेंगे, इसलिए सुरक्षा शुल्क सबसे तेज़ और प्रभावी तरीका है।
निवेश का प्रभाव :
- अगर सरकार सुरक्षा शुल्क लगाती है, तो इससे भारतीय स्टील कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है।
- टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और आर्सेलर मित्तल निप्पन स्टील जैसी कंपनियों के शेयरों पर नज़र रखें।
- यह कदम स्टील की कीमतों को स्थिर करने में मदद कर सकता है, जिससे निर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को फायदा हो सकता है।
- निवेशकों को इस मामले पर सरकार के फैसले का इंतज़ार करना चाहिए और उसके बाद ही कोई निवेश निर्णय लेना चाहिए।