रिलायंस पावर और उसकी सहायक कंपनी रिलायंस एनयू बेस को सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने सरकारी टेंडरों में भाग लेने से तीन साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। SECI का कहना है कि कंपनी ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के टेंडर में “फर्जी” बैंक गारंटी जमा की थी।
रिलायंस पावर ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि वह धोखाधड़ी का शिकार हुई है और उसने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। कंपनी का कहना है कि उसने बैंक गारंटी एक तीसरे पक्ष के ज़रिए हासिल की थी और उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि वह फर्जी है। रिलायंस पावर SECI के इस फैसले को कानूनी चुनौती देने की तैयारी कर रही है।
मुख्य जानकारी :
- SECI का यह फैसला रिलायंस पावर के लिए एक बड़ा झटका है, जो नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
- इस घटना से कंपनी की साख को नुकसान पहुँच सकता है और भविष्य में उसे सरकारी टेंडर हासिल करने में मुश्किल हो सकती है।
- यह मामला सरकारी टेंडरों में पारदर्शिता और जवाबदेही की ज़रूरत को भी उजागर करता है।
निवेश का प्रभाव :
- इस खबर से रिलायंस पावर के शेयरों में गिरावट देखी जा सकती है।
- निवेशकों को कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई के नतीजों पर नज़र रखनी चाहिए।
- यह घटना नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने वाले अन्य कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है।