सरकार ने इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरियों को ‘कोर-ऑटो घटकों’ की सूची में डाल दिया है। इसका मतलब है कि अब इन बैटरियों को बनाने वाली कंपनियों को सरकार की तरफ से ज्यादा मदद और प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही, ‘सेफ हार्बर’ के तहत मिलने वाली छूट की सीमा को भी 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है। ‘सेफ हार्बर’ का मतलब है कि अगर कोई कंपनी सरकार के नियमों के हिसाब से काम करती है, तो उसे कुछ खास छूट मिलती हैं। यह बदलाव इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देने और भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया गया है। इससे बैटरी उद्योग में निवेश बढ़ेगा और नई नौकरियां भी पैदा होंगी। सरकार का मानना है कि यह कदम पर्यावरण के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इलेक्ट्रिक गाड़ियां प्रदूषण कम करती हैं।
मुख्य जानकारी :
इस खबर में सबसे ज़रूरी बात यह है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को खास महत्व दे रही है। सरकार चाहती है कि भारत में ही अच्छी क्वालिटी की बैटरियां बनें, ताकि हमें दूसरे देशों पर निर्भर न रहना पड़े। ‘सेफ हार्बर’ की सीमा बढ़ने से छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों को भी फायदा होगा। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर विकल्प मिलेंगे। यह बदलाव इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है, जो भारत को इस उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने में मदद कर सकता है।
निवेश का प्रभाव :
इस खबर का सबसे बड़ा असर बैटरी बनाने वाली कंपनियों पर पड़ेगा, जैसे कि अमारा राजा बैटरीज। जो कंपनियां लिथियम-आयन बैटरी बनाती हैं, उनके शेयरों में उछाल आ सकता है। ऑटोमोबाइल कंपनियों को भी फायदा होगा, क्योंकि उन्हें अब आसानी से बैटरियां मिल सकेंगी। निवेशकों को इन कंपनियों के शेयरों पर नज़र रखनी चाहिए। इसके साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में भी निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं। बाजार के पुराने रुझानों और आर्थिक संकेतकों को देखते हुए, यह बदलाव लंबी अवधि में फायदेमंद साबित हो सकता है।