सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की अध्यक्ष, माधबी पुरी बुच ने हाल ही में बताया है कि सेबी ‘व्हेन-लिस्टेड’ सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग की संभावना पर गौर कर रहा है।
‘व्हेन-लिस्टेड’ सिक्योरिटीज क्या होती हैं?
ये ऐसी सिक्योरिटीज होती हैं जिनकी लिस्टिंग की तारीख अभी तय नहीं होती है। कंपनियां IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) के जरिए पहली बार अपनी सिक्योरिटीज शेयर बाजार में लिस्ट करती हैं। लेकिन कभी-कभी लिस्टिंग में देरी हो सकती है। ऐसे में, ‘व्हेन-लिस्टेड’ सिक्योरिटीज निवेशकों को IPO में शामिल होने और शेयर खरीदने का मौका देती हैं, भले ही लिस्टिंग की तारीख तय न हो।
इससे क्या फायदा होगा?
- निवेशकों के लिए: निवेशक IPO में जल्दी शामिल हो सकेंगे और लिस्टिंग के इंतज़ार में नहीं रहना पड़ेगा।
- कंपनियों के लिए: कंपनियों को पैसा जल्दी मिल सकेगा और उन्हें लिस्टिंग की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- कीमत का निर्धारण: लिस्टिंग से पहले सिक्योरिटीज की कीमत तय करना मुश्किल हो सकता है।
- जोखिम: निवेशकों को ज़्यादा जोखिम उठाना पड़ सकता है क्योंकि लिस्टिंग से पहले बाजार में उतार-चढ़ाव ज़्यादा हो सकता है।
सेबी इन चुनौतियों का समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहा है ताकि ‘व्हेन-लिस्टेड’ सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग को सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा सके।
मुख्य जानकारी :
- सेबी निवेशकों के लिए नए मौके खोलने की दिशा में काम कर रहा है।
- ‘व्हेन-लिस्टेड’ सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग से IPO बाजार में तेजी आ सकती है।
- सेबी को निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की पारदर्शिता का भी ध्यान रखना होगा।
निवेश का प्रभावv:
- अगर ‘व्हेन-लिस्टेड’ सिक्योरिटीज में ट्रेडिंग शुरू होती है, तो निवेशकों को नए मौके मिलेंगे।
- लेकिन निवेश करने से पहले सभी जोखिमों को समझना ज़रूरी होगा।
- निवेशकों को सावधानी से कदम उठाना चाहिए और सिर्फ़ उतना ही निवेश करना चाहिए जितना वे खो सकते हैं।
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