भारत सरकार अपनी तेल रिफ़ाइनिंग क्षमता को मौजूदा योजना के 310 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 400-450 MTPA करने पर विचार कर रही है। यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दी है।
इस कदम का उद्देश्य देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना और भारत को एक प्रमुख वैश्विक रिफ़ाइनिंग केंद्र बनाना है। पुरी के अनुसार, भारत की ऊर्जा मांग अगले दो दशकों में दोगुनी होने की उम्मीद है, और इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रिफ़ाइनिंग क्षमता का विस्तार ज़रूरी है।
मुख्य अंतर्दृष्टि:
- ऊर्जा सुरक्षा: रिफ़ाइनिंग क्षमता बढ़ाने से भारत की ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत होगी और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी।
- आर्थिक विकास: रिफ़ाइनिंग उद्योग में निवेश से रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: रिफ़ाइनिंग क्षमता विस्तार के पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करना ज़रूरी होगा।
निवेश निहितार्थ:
- तेल और गैस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेज़ी आ सकती है।
- रिफ़ाइनरी उपकरण और सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों को भी फ़ायदा हो सकता है।
- निवेशकों को सरकार की ऊर्जा नीतियों और पर्यावरणीय नियमों पर नज़र रखनी चाहिए।