भारत सरकार की योजना है कि इंडस्ट्रियल फाइनेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (IFCI) को ऋण देना बंद कर दिया जाए। IFCI एक सरकारी वित्तीय संस्थान है जो कंपनियों को ऋण प्रदान करता है। सरकार का मानना है कि IFCI अब अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभा पा रहा है और उसे बंद करना ही बेहतर है।
IFCI काफी समय से वित्तीय समस्याओं से जूझ रहा है। उसके पास बहुत सारे फंसे हुए कर्ज हैं जिनकी वसूली नहीं हो पा रही है। इसके अलावा, IFCI को अपने कर्ज चुकाने में भी दिक्कत हो रही है। सरकार ने पिछले कुछ सालों में IFCI में काफी पैसा लगाया है, लेकिन इससे भी कोई खास फायदा नहीं हुआ है।
मुख्य जानकारी :
- IFCI के ऋण संचालन बंद होने से सरकारी बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों पर कंपनियों को ऋण देने का दबाव बढ़ सकता है।
- IFCI में काम करने वाले लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।
- सरकार को IFCI के बंद होने से होने वाले नुकसान को भी भरना होगा।
निवेश का प्रभाव :
- IFCI के शेयरों में निवेश करने वाले निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
- सरकारी बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों के शेयरों में तेजी आ सकती है क्योंकि उनके पास ऋण देने के ज़्यादा मौके होंगे।