भारत सरकार ने देश में यूरिया उत्पादन को बढ़ाने के लिए 6 नई यूरिया उत्पादन इकाइयों की स्थापना की है। इनमें से 5 इकाइयाँ पुराने सरकारी कारखानों को फिर से चालू करके बनाई गई हैं, जो 2015 की नई यूरिया नीति के तहत शुरू की गई थीं। इन इकाइयों के चालू होने से भारत के यूरिया उत्पादन में 60 लाख टन की बढ़ोतरी होगी।
तेलंगाना के रामागुंडम में स्थित एक कारखाना हाल ही में चालू हुआ है, जिससे भारत यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और बिहार के बरौनी में स्थित कारखाने पहले ही काम करना शुरू कर चुके हैं।
इस कदम से भारत को यूरिया के आयात पर निर्भरता कम करने और किसानों को सस्ती दरों पर यूरिया उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
मुख्य जानकारी:
- भारत सरकार का लक्ष्य यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
- नई इकाइयों से यूरिया उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होगी।
- इससे किसानों को सस्ता यूरिया मिलेगा और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत यूरिया निर्यातक देश भी बन सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- उर्वरक क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है।
- किसानों की आय बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं से जुड़ी कंपनियों को फायदा हो सकता है।
- लंबे समय में यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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