हाल ही में कनाडाई इस्पात उत्पादक संघ (CSPA) ने कनाडा सरकार से गुहार लगाई है कि वह अमेरिकी इस्पात उत्पादों पर फिर से जवाबी शुल्क लगाए। संघ का कहना है कि अमेरिका ने कनाडा से आयात होने वाले इस्पात पर जो टैरिफ लगाए थे, उनसे कनाडा के इस्पात उद्योग को काफी नुकसान हुआ है। CSPA के मुताबिक, अमेरिका ने अपने “धारा 232” के तहत कनाडा के इस्पात पर जो राष्ट्रीय सुरक्षा शुल्क लगाए थे, वे अनुचित थे और इन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए। संघ ने यह भी दावा किया है कि भले ही बाद में इन शुल्कों को हटा दिया गया, लेकिन अमेरिका ने अभी भी कुछ सुरक्षा उपाय (जैसे कोटा) जारी रखे हैं, जिससे कनाडा के निर्यातकों को परेशानी हो रही है। CSPA का मानना है कि अगर कनाडा जवाबी शुल्क नहीं लगाता है, तो अमेरिकी कंपनियों को अनुचित लाभ मिलता रहेगा और कनाडा का इस्पात उद्योग कमजोर होता जाएगा। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव फिर से बढ़ सकता है।
मुख्य जानकारी :
- मूल मुद्दा: कनाडाई इस्पात उत्पादक संघ चाहता है कि कनाडा सरकार अमेरिकी इस्पात पर जवाबी शुल्क लगाए क्योंकि अमेरिका ने पहले कनाडा के इस्पात पर अनुचित शुल्क लगाए थे।
- धारा 232 शुल्क: अमेरिका ने अपनी “धारा 232” के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कनाडा के इस्पात पर 25% शुल्क लगाया था। हालांकि बाद में इन शुल्कों को हटा दिया गया, लेकिन अमेरिका ने अभी भी कुछ मात्रात्मक प्रतिबंध (कोटा) बरकरार रखे हैं।
- कनाडा के उद्योग पर असर: CSPA का कहना है कि इन अमेरिकी शुल्कों और प्रतिबंधों से कनाडा के इस्पात उद्योग को गंभीर नुकसान हुआ है, जिससे उत्पादन कम हुआ है और नौकरियां भी प्रभावित हुई हैं।
- व्यापारिक तनाव: यह कदम कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में फिर से तनाव पैदा कर सकता है। पहले भी इन शुल्कों के कारण दोनों देशों के बीच तीखी बहस हुई थी।
- घरेलू उत्पादन का समर्थन: CSPA का लक्ष्य कनाडा के घरेलू इस्पात उत्पादन को बचाना और उसे बढ़ावा देना है, ताकि अमेरिकी कंपनियों को कनाडा के बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा का सामना न करना पड़े।
निवेश का प्रभाव :
अगर कनाडा सरकार अमेरिकी इस्पात पर जवाबी शुल्क लगाने का फैसला करती है, तो इसके भारतीय शेयर बाजार पर भी कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकते हैं।
- वैश्विक इस्पात कीमतें: अगर कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो वैश्विक इस्पात की कीमतों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इससे भारतीय इस्पात कंपनियों, जैसे टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, और जिंदल स्टील एंड पावर पर असर पड़ सकता है। अगर वैश्विक कीमतें बढ़ती हैं, तो इन कंपनियों को फायदा हो सकता है, लेकिन अगर कीमतें गिरती हैं, तो नुकसान हो सकता है।
- कच्चे माल की लागत: इस्पात उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल, जैसे लौह अयस्क और कोकिंग कोल की कीमतों पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
- निर्यात बाजार: भारतीय इस्पात कंपनियों के लिए निर्यात बाजार भी प्रभावित हो सकता है। यदि वैश्विक व्यापारिक माहौल खराब होता है, तो भारतीय इस्पात का निर्यात कम हो सकता है।
- रुपये पर असर: अंतरराष्ट्रीय व्यापार तनाव से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये पर भी दबाव पड़ सकता है, जिससे आयात महंगा हो सकता है।
- लघु अवधि की अस्थिरता: किसी भी व्यापारिक विवाद की खबर से बाजार में लघु अवधि की अस्थिरता बढ़ सकती है, खासकर धातु और विनिर्माण क्षेत्र में। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और ऐसी खबरों पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए।