चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के बीच, चीन ने संकेत दिया है कि वह दुर्लभ खनिजों (rare earths) के निर्यात पर रोक लगा सकता है। ये खनिज स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और रक्षा उपकरणों जैसे कई अहम उत्पादों में इस्तेमाल होते हैं। चीन दुनिया में इन खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है, और अमेरिका अपनी ज़रूरत का 80% हिस्सा चीन से ही आयात करता है।
चीन के सरकारी अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक, चीन अपनी इस पकड़ का इस्तेमाल अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है। हालांकि, चीन ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
मुख्य जानकारी :
- चीन का दबाव: चीन दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर रोक लगाकर अमेरिका पर व्यापारिक दबाव बनाना चाहता है।
- अमेरिका की चिंता: अमेरिका को इन खनिजों की आपूर्ति को लेकर चिंता है क्योंकि वह चीन पर बहुत ज़्यादा निर्भर है।
- भारत के लिए मौका: यह स्थिति भारत के लिए एक अच्छा मौका हो सकती है। भारत में भी दुर्लभ खनिजों के भंडार हैं, और वह चीन के विकल्प के रूप में उभर सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- दुर्लभ खनिज कंपनियों में तेजी: अगर चीन निर्यात पर रोक लगाता है, तो दुर्लभ खनिजों का उत्पादन करने वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है।
- भारतीय कंपनियों पर नज़र: निवेशकों को भारतीय खनन कंपनियों पर नज़र रखनी चाहिए जो दुर्लभ खनिजों का उत्पादन करती हैं।
- सावधानी बरतें: यह स्थिति अभी अनिश्चित है, इसलिए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।
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