दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारती एयरटेल जैसी टेलिकॉम कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए फैसला सुनाया है कि मोबाइल टावर “चल संपत्ति” हैं, इसलिए टावर कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा कर सकती हैं।
सरल शब्दों में कहें तो, जब कंपनियां टावर बनाने के लिए सामान खरीदती हैं, तो उस पर जो टैक्स चुकाती हैं, उसे वे अपनी सर्विस टैक्स देनदारी से घटा सकती हैं।
यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले टैक्स विभाग टावर को “अचल संपत्ति” मानता था, जिससे कंपनियों को ITC का लाभ नहीं मिलता था।
मुख्य जानकारी :
- जीएसटी कानून के तहत राहत: उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि मोबाइल टावर जीएसटी कानून की धारा 17(5) के अंतर्गत नहीं आते, जो अचल संपत्ति के निर्माण से जुड़े सामान और सेवाओं पर ITC का दावा करने से रोकती है।
- ‘स्थायित्व परीक्षण’ में खरे नहीं उतरते टावर: अदालत ने कहा कि टावर ‘स्थायित्व परीक्षण’ में खरे नहीं उतरते, यानी उन्हें ज़मीन से स्थायी रूप से जुड़ा हुआ नहीं माना जा सकता।
- टेलिकॉम कंपनियों के लिए फायदेमंद: यह फैसला भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, रिलायंस कम्युनिकेशंस, इंडस टावर्स जैसी सभी टेलिकॉम कंपनियों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इससे उनकी टैक्स देनदारी कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा।
निवेश का प्रभाव :
- टेलिकॉम शेयरों में तेजी संभव: यह फैसला टेलिकॉम कंपनियों के लिए सकारात्मक है, इसलिए उनके शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।
- दीर्घकालिक निवेश के लिए बेहतर: टैक्स में कमी से कंपनियों के पास निवेश के लिए ज़्यादा पैसा होगा, जिससे उनका विकास होगा और निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है।
- सावधानी बरतें: निवेश करने से पहले कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन और बाजार के हालात का अध्ययन ज़रूर करें।
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