हाल ही में हुई एक कॉन्फ्रेंस कॉल में, EXIDE इंडस्ट्रीज के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि कंपनी के एबिटा (EBITDA) मार्जिन पर थोड़ा असर पड़ा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई हैं। अधिकारी ने यह भी कहा कि पिछले छह महीनों में एंटीमनी जैसे कच्चे माल की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण मार्जिन पर दबाव आया है। हालांकि, इसके बावजूद कंपनी के एबिटा में तिमाही-दर-तिमाही (QoQ) आधार पर 4% की बढ़ोतरी हुई है। कंपनी का कहना है कि वह लागत को कम करने और कामकाज को बेहतर बनाने पर ध्यान दे रही है।
पूरे वित्त वर्ष 2024-25 की बात करें, तो एबिटा मार्जिन 11.4% और पीबीटी (PBT) मार्जिन 8.7% रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह क्रमशः 11.7% और 8.8% था। कंपनी के पास अभी भी अच्छी नकदी है और उस पर कोई कर्ज नहीं है। इस वित्त वर्ष में कंपनी ने कामकाज से ₹1,298 करोड़ की नकदी कमाई है। कंपनी के बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रति शेयर ₹2.0 का अंतिम लाभांश देने का भी प्रस्ताव रखा है।
कंपनी का इंडस्ट्रियल यूपीएस (UPS) कारोबार अच्छा कर रहा है, क्योंकि कई क्षेत्रों में बिजली बैकअप की मांग बढ़ रही है। सोलर (सौर ऊर्जा) कारोबार में भी अच्छी वृद्धि हुई है, जिसे सरकार के सौर ऊर्जा कार्यक्रमों से मदद मिली है। हालांकि, होम-यूपीएस का कारोबार पिछले साल से कम रहा, क्योंकि पिछला सीजन कमजोर था और पिछले साल का आंकड़ा ऊंचा था। ऑटो ओईएम (OEM) कारोबार पर भी वाहन निर्माताओं से कम मांग का असर पड़ा है। इंडस्ट्रियल इंफ्रा कारोबार में चौथी तिमाही में सुधार हुआ है, क्योंकि बिजली, रेलवे जैसे क्षेत्रों में नए ऑर्डर आ रहे हैं और काम तेजी से हो रहा है।
EXIDE ने अपनी सहायक कंपनी, EXIDE एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (EESL) में लगभग ₹1,000 करोड़ का निवेश किया है। इसके अलावा, अप्रैल 2025 में लगभग ₹300 करोड़ और डाले गए हैं। अब तक EESL में कुल इक्विटी निवेश ₹3,602.23 करोड़ हो चुका है। EESL की परियोजना साइट पर काम तेजी से चल रहा है, और उपकरणों की स्थापना और निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है।
मुख्य जानकारी :
इस खबर का सबसे ज़रूरी पहलू यह है कि कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद EXIDE इंडस्ट्रीज ने अपनी परिचालन लाभप्रदता को बनाए रखने की कोशिश की है। एंटीमनी की कीमतों में बढ़ोतरी का असर मार्जिन पर ज़रूर पड़ा है, लेकिन कंपनी ने अन्य क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि दर्ज की है, जैसे कि ऑटो रिप्लेसमेंट, इंडस्ट्रियल यूपीएस और सोलर। ऑटो ओईएम और होम-यूपीएस जैसे क्षेत्रों में कमजोरी ज़रूर दिख रही है, लेकिन इंडस्ट्रियल इंफ्रा कारोबार में सुधार के संकेत हैं। कंपनी का लिथियम-आयन बैटरी बनाने की परियोजना पर भी काम तेज़ी से चल रहा है, जो भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
निवेश का प्रभाव :
कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर कंपनी के मुनाफे पर पड़ सकता है। निवेशकों को इस पर ध्यान देना होगा। हालांकि, कंपनी का मजबूत नकदी प्रवाह और शून्य कर्ज की स्थिति एक सकारात्मक संकेत है। सोलर और इंडस्ट्रियल यूपीएस जैसे बढ़ते क्षेत्रों में कंपनी की पकड़ भविष्य में फायदेमंद हो सकती है। लिथियम-आयन बैटरी परियोजना भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार के लिए कंपनी की तैयारी को दर्शाती है, जो लंबी अवधि में विकास के अवसर पैदा कर सकती है। निवेशकों को कंपनी के विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों के प्रदर्शन और कच्चे माल की कीमतों के रुझान पर नज़र रखनी चाहिए।