रॉयटर्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2025 में ब्रेंट क्रूड ऑयल की औसत कीमत $74.33 प्रति बैरल रहने का अनुमान है। नवंबर में किए गए पिछले सर्वेक्षण में यह अनुमान $74.53 प्रति बैरल था। यानी तेल की कीमतों में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है।
विश्लेषकों का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती और तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी के कारण तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि की संभावना कम है।
मुख्य जानकारी :
- मांग और आपूर्ति का संतुलन: तेल की कीमतें मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन पर निर्भर करती हैं। अगर मांग आपूर्ति से ज्यादा होती है तो कीमतें बढ़ती हैं, और अगर आपूर्ति मांग से ज्यादा होती है तो कीमतें घटती हैं।
- वैश्विक आर्थिक मंदी: अगर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं धीमी गति से बढ़ती हैं, तो तेल की मांग कम हो सकती है, जिससे कीमतें नीचे आ सकती हैं।
- ओपेक+ का प्रभाव: तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक+ तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उत्पादन में बदलाव कर सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- ऊर्जा क्षेत्र: तेल की कीमतों में स्थिरता का असर तेल और गैस कंपनियों के शेयरों पर पड़ सकता है।
- मुद्रास्फीति: तेल की कीमतें मुद्रास्फीति को प्रभावित करती हैं। अगर तेल महंगा होता है तो चीजों के दाम बढ़ते हैं।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था: तेल की कीमतों में बदलाव का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।