जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ जल्द ही स्टील उद्योग के लोगों से मुलाकात करने वाले हैं। वे चाहते हैं कि जर्मनी में इस्तेमाल होने वाली स्टील का उत्पादन जर्मनी में ही हो। इसके पीछे मुख्य वजह है कि जर्मनी अपनी स्टील की ज़रूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहे। चीन जैसे देशों से स्टील मंगवाने पर कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं, जैसे सप्लाई में देरी या फिर क़ीमतों में बढ़ोतरी। इसलिए शोल्ज़ चाहते हैं कि जर्मनी में ही स्टील का उत्पादन बढ़े और इसके लिए सरकार स्टील कंपनियों को मदद भी करेगी।
मुख्य जानकारी :
- आत्मनिर्भरता: शोल्ज़ का मानना है कि स्टील जैसे ज़रूरी सामान के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना सही नहीं है। अगर जर्मनी अपनी ज़रूरत की स्टील खुद बनाएगा, तो उसे किसी और देश की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
- चीन की चिंता: चीन दुनिया में सबसे ज़्यादा स्टील बनाता है। अगर जर्मनी चीन से स्टील मंगवाता रहेगा, तो चीन जब चाहे दाम बढ़ा सकता है या फिर स्टील भेजना बंद भी कर सकता है।
- सरकार की मदद: शोल्ज़ ने कहा है कि सरकार स्टील कंपनियों को मदद करेगी ताकि वे ज़्यादा स्टील बना सकें। इससे न सिर्फ़ जर्मनी की ज़रूरत पूरी होगी, बल्कि नौकरियां भी पैदा होंगी।
निवेश का प्रभाव :
- जर्मन स्टील कंपनियों में तेज़ी: अगर सरकार स्टील कंपनियों को मदद करेगी, तो उन कंपनियों के शेयरों की क़ीमत बढ़ सकती है। निवेशकों के लिए यह एक अच्छा मौक़ा हो सकता है।
- इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बढ़ोतरी: स्टील का इस्तेमाल सड़क, पुल, और इमारतें बनाने में होता है। अगर जर्मनी में स्टील का उत्पादन बढ़ेगा, तो इंफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भी तेज़ी आ सकती है।
- कच्चे माल की क़ीमतों पर नज़र: स्टील बनाने के लिए लोहा, कोयला जैसे कच्चे माल की ज़रूरत होती है। अगर स्टील का उत्पादन बढ़ेगा, तो इन कच्चे माल की मांग भी बढ़ेगी और उनकी क़ीमतें भी बढ़ सकती हैं।
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