सरकार ने सोडा ऐश के आयात पर न्यूनतम मूल्य तय कर दिया है। इसका मतलब है कि अब कोई भी कंपनी अगर विदेश से सोडा ऐश मंगवाना चाहती है, तो उसे सरकार द्वारा तय कीमत से कम दाम पर नहीं खरीद सकती। यह कीमत 20,108 रुपये प्रति टन रखी गई है। यह नियम 30 जून 2025 तक लागू रहेगा।
सोडा ऐश का इस्तेमाल कई उद्योगों में होता है, जैसे कांच, डिटर्जेंट और केमिकल बनाने में। सरकार का मानना है कि इस कदम से देश में सोडा ऐश बनाने वाली कंपनियों को मदद मिलेगी और वे विदेशी कंपनियों से मुकाबला कर पाएंगी।
मुख्य जानकारी :
- सरकार के इस फैसले से देश में सोडा ऐश के दाम बढ़ सकते हैं क्योंकि विदेशों से सस्ता माल आना बंद हो जाएगा।
- जिन कंपनियों को सोडा ऐश की ज़रूरत होती है, जैसे कांच बनाने वाली कंपनियां, उनके लिए लागत बढ़ सकती है।
- इससे देश में सोडा ऐश बनाने वाली कंपनियों, जैसे GHCL, को फायदा हो सकता है क्योंकि उनके उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
निवेश का प्रभाव :
- GHCL जैसी कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है क्योंकि उनके उत्पादों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
- जिन कंपनियों को सोडा ऐश कच्चे माल के रूप में चाहिए, उनके शेयरों पर दबाव देखने को मिल सकता है क्योंकि उनकी लागत बढ़ सकती है।
- निवेशकों को सोडा ऐश से जुड़े उद्योगों पर नज़र रखनी चाहिए और कंपनियों के वित्तीय परिणामों का विश्लेषण करना चाहिए।
स्रोत: