सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन बैटरियों के उपयोग को ‘कोर-ऑटो घटकों’ में शामिल कर दिया है। इसका मतलब है कि अब इन बैटरियों को ऑटो सेक्टर के मुख्य भागों में गिना जाएगा। इसके साथ ही, ‘सुरक्षित बंदरगाह’ (सेफ हार्बर) की सीमा को 200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि कंपनियां अब 300 करोड़ रुपये तक के लेनदेन पर कुछ टैक्स लाभ ले सकती हैं। ये बदलाव ईवी उद्योग और एक्ससाइड जैसी बैटरी बनाने वाली कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मुख्य जानकारी
:
- लिथियम-आयन बैटरियों को ‘कोर-ऑटो घटकों’ में शामिल करने से ईवी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इससे इन बैटरियों का उत्पादन और उपयोग बढ़ेगा।
- सुरक्षित बंदरगाह सीमा में वृद्धि से कंपनियों को निवेश करने और अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे एक्ससाइड जैसी कंपनियों को फायदा होगा, जो लिथियम-आयन बैटरी बनाती हैं।
- यह बदलाव भारत में ईवी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।
निवेश का प्रभाव :
- एक्ससाइड जैसी लिथियम-आयन बैटरी बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में बढ़ोतरी हो सकती है। क्योंकि सरकार का यह कदम ईवी सेक्टर को बढ़ावा देगा।
- ईवी सेक्टर से जुड़ी अन्य कंपनियों के शेयरों पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ सकता है।
- निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की स्थिति और कंपनी के प्रदर्शन का ध्यान रखें।
- यह बदलाव भारत में ईवी उद्योग के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, और निवेशकों को इस क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर ध्यान देना चाहिए।