क्वेस कॉर्प कंपनी को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इनकम टैक्स विभाग ने कंपनी पर 1.8 अरब रुपये का टैक्स बकाया होने का दावा किया था, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। यह मामला क्वेस कॉर्प द्वारा ई-एनएक्सटी नामक कंपनी के अधिग्रहण से जुड़ा था। इनकम टैक्स विभाग का कहना था कि ई-एनएक्सटी ने टैक्स रिटर्न नहीं भरा है, इसलिए क्वेस कॉर्प को यह टैक्स चुकाना होगा।
लेकिन, क्वेस कॉर्प ने कोर्ट में बताया कि ई-एनएक्सटी का 2015 से ही अस्तित्व नहीं है क्योंकि उसे क्वेस कॉर्प में मिला लिया गया था। इसलिए, क्वेस कॉर्प पर ई-एनएक्सटी का टैक्स बकाया नहीं हो सकता। हाई कोर्ट ने क्वेस कॉर्प की दलील को स्वीकार करते हुए इनकम टैक्स विभाग का आदेश रद्द कर दिया।
मुख्य जानकारी :
- यह फैसला क्वेस कॉर्प के लिए बहुत बड़ी जीत है। इससे कंपनी को 1.8 अरब रुपये बचाने में मदद मिलेगी।
- यह फैसला उन कंपनियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिन्होंने दूसरी कंपनियों का अधिग्रहण किया है। यह साफ करता है कि अधिग्रहण के बाद पुरानी कंपनी के टैक्स बकाया की ज़िम्मेदारी नई कंपनी पर नहीं होती।
- इस फैसले से इनकम टैक्स विभाग को भी सबक मिलेगा। भविष्य में, विभाग को ऐसे मामलों में ज़्यादा सावधानी बरतनी होगी।
निवेश का प्रभाव :
- इस खबर से क्वेस कॉर्प के शेयरों में तेजी आ सकती है। निवेशक इस कंपनी में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
- यह फैसला भारतीय शेयर बाजार के लिए सकारात्मक है। यह दिखाता है कि भारतीय न्यायपालिका कंपनियों के हक में फैसले लेने को तैयार है।
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