इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि 2025 में दुनिया भर में तेल की सप्लाई 18 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) बढ़ने का अनुमान है। यह बढ़ोतरी तेल की मांग में होने वाली बढ़ोतरी से ज़्यादा है। इसका मतलब है कि बाज़ार में तेल की भरमार हो सकती है, जिससे तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
IEA के मुताबिक, OPEC+ देशों के बाहर तेल उत्पादन में बढ़ोतरी होने से यह अतिरिक्त सप्लाई होगी। हालांकि OPEC+ (जिसमें सऊदी अरब और रूस जैसे बड़े तेल उत्पादक देश शामिल हैं) ने उत्पादन में कटौती की है, लेकिन IEA का मानना है कि तेल के दामों को स्थिर रखने के लिए उन्हें आगे भी उत्पादन कम करना पड़ सकता है।
मुख्य जानकारी :
- तेल की सप्लाई में बढ़ोतरी: IEA के अनुसार, 2025 में तेल की सप्लाई में 18 लाख बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी होगी, जो 2024 में अनुमानित 5 लाख बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी से काफ़ी ज़्यादा है।
- मांग में धीमी बढ़ोतरी: तेल की मांग में बढ़ोतरी 2025 में भी धीमी रहने की उम्मीद है, क्योंकि चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में तेल की खपत उम्मीद से कम रही है।
- OPEC+ की भूमिका: OPEC+ देशों को तेल की कीमतों को गिरने से बचाने के लिए अपने उत्पादन में और कटौती करनी पड़ सकती है।
निवेश का प्रभाव :
- तेल कंपनियों के शेयर: तेल की कीमतों में संभावित गिरावट तेल कंपनियों (जैसे ONGC, Reliance Industries) के शेयरों को प्रभावित कर सकती है।
- पेट्रोलियम उत्पाद: तेल की कीमतों में कमी से पेट्रोल और डीज़ल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी गिरावट आ सकती है।
- मुद्रास्फीति: तेल की कीमतों में गिरावट से कुल मिलाकर मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिल सकती है।
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