बायोकॉन कंपनी की बोर्ड मीटिंग 23 अप्रैल को होने वाली है। इस मीटिंग में कंपनी यह विचार करेगी कि वह अलग-अलग तरीकों से पैसा कैसे जुटा सकती है। ये तरीके हैं – क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी), राइट्स इश्यू, फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ), या फिर किसी खास निवेशक को शेयर देकर (प्रेफरेंशियल रूट)। कंपनी को यह फैसला लेना है कि इनमें से कौन सा तरीका उसके लिए सबसे अच्छा रहेगा ताकि वह अपने कारोबार को आगे बढ़ा सके।
मुख्य जानकारी :
यह खबर बताती है कि बायोकॉन को आगे बढ़ने के लिए पैसों की ज़रूरत है। कंपनी के बोर्ड की मीटिंग में यह तय होगा कि यह पैसा कहाँ से और कैसे आएगा। क्यूआईपी का मतलब है कि कंपनी बड़े निवेशकों (जैसे म्यूचुअल फंड) को शेयर बेच सकती है। राइट्स इश्यू में कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को नए शेयर खरीदने का मौका देती है। एफपीओ तब आता है जब कंपनी पहले से ही शेयर बाजार में लिस्टेड है और वह नए शेयर जारी करके पैसा जुटाना चाहती है। और प्रेफरेंशियल रूट में कंपनी कुछ खास लोगों या कंपनियों को सीधे शेयर बेचती है। यह देखना होगा कि बायोकॉन इनमें से किस रास्ते को चुनती है और इसका कंपनी के शेयरों और निवेशकों पर क्या असर होता है।
निवेश का प्रभाव :
बायोकॉन के इस कदम का निवेशकों के लिए कई मतलब हो सकते हैं। अगर कंपनी क्यूआईपी या प्रेफरेंशियल रूट चुनती है, तो बाजार में नए शेयर आने से मौजूदा शेयरों की कीमत पर थोड़ा दबाव पड़ सकता है। वहीं, अगर कंपनी राइट्स इश्यू लाती है, तो मौजूदा शेयरधारकों को और शेयर खरीदने का मौका मिलेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें और पैसा लगाना होगा। एफपीओ भी बाजार में शेयरों की सप्लाई बढ़ा सकता है। निवेशकों को यह देखना होगा कि कंपनी यह पैसा किसलिए जुटा रही है और इससे कंपनी की आगे की ग्रोथ कैसी रहने वाली है। इन सभी फैसलों का असर बायोकॉन के शेयर की कीमत पर आने वाले दिनों में दिख सकता है। इसलिए निवेशकों को कंपनी के अगले ऐलान पर ध्यान देना चाहिए।