नवंबर में भारत की थोक महंगाई (WPI) घटकर 5.85% हो गई, जो अक्टूबर में 8.39% थी। यह गिरावट उम्मीद से ज़्यादा है और इसके पीछे मुख्य कारण कच्चे तेल, ईंधन और बिजली की कीमतों में कमी है। खाद्य वस्तुओं की महंगाई भी कम हुई है, खासकर सब्जियों के दामों में।
यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई में कमी आई है। इससे यह उम्मीद बढ़ रही है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में बढ़ोतरी को रोक सकता है, क्योंकि महंगाई उसके लक्ष्य के करीब आ रही है।
मुख्य जानकारी :
- कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी का सीधा असर थोक महंगाई पर दिख रहा है।
- खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी: सब्जियों की बंपर फसल से खाने-पीने की चीज़ों की महंगाई कम हुई है।
- RBI की नीति पर असर: थोक महंगाई में लगातार कमी से RBI को ब्याज दरों में बढ़ोतरी रोकने का मौका मिल सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- ब्याज दरों में स्थिरता: RBI के रुख में बदलाव से बाजार में स्थिरता आ सकती है और निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है।
- कुछ क्षेत्रों को फायदा: ब्याज दरों में कमी से ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों को फायदा हो सकता है।
- सावधानी बरतें: अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता और मौसम की मार से महंगाई फिर बढ़ सकती है, इसलिए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
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