भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन, अनिल कुमार लाहोटी ने बताया है कि ट्राई जल्द ही सरकार को सैटेलाइट कम्युनिकेशन के बारे में अपनी सिफारिशें देगा। इन सिफारिशों में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन का तरीका, इस्तेमाल की जाने वाली फ्रीक्वेंसी, स्पेक्ट्रम की कीमत, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी शर्तें शामिल होंगी।
ट्राई ने सुझाव दिया है कि स्पेक्ट्रम शुल्क को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) से जोड़ा जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि स्पेक्ट्रम शुल्क ऑपरेटर के वित्तीय प्रदर्शन के अनुरूप हो। इसके अलावा, ट्राई यह भी स्पष्ट करेगा कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियों को किस तरह के लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
मुख्य जानकारी :
- ट्राई की सिफारिशें सैटेलाइट कम्युनिकेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं।
- स्पेक्ट्रम आवंटन का तरीका और कीमतें तय होने से इस क्षेत्र में निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
- सैटेलाइट कंपनियों के लिए लाइसेंस संबंधी नियमों में बदलाव से उन्हें काम करना आसान हो सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- रिलायंस जियो जैसी कंपनियां, जो सैटेलाइट कम्युनिकेशन में निवेश कर रही हैं, इन बदलावों से फायदा उठा सकती हैं।
- निवेशकों को सैटेलाइट कम्युनिकेशन से जुड़ी कंपनियों पर नज़र रखनी चाहिए और ट्राई की सिफारिशों के प्रभाव का आकलन करना चाहिए।
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