नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में भारतीय शेयर बाजार आज प्री-ओपन ट्रेड में 0.18% की गिरावट के साथ खुला है। इसका मतलब है कि बाजार के नियमित कारोबार शुरू होने से पहले ही, निवेशकों की शुरुआती प्रतिक्रिया थोड़ी नकारात्मक दिख रही है। प्री-ओपन सेशन वह समय होता है जब निवेशक बाजार खुलने से पहले शेयर खरीदने या बेचने के ऑर्डर देते हैं। इस दौरान शेयरों की शुरुआती कीमत तय होती है, जिसे “इक्विलिब्रियम प्राइस” कहा जाता है। यह इक्विलिब्रियम प्राइस बाजार खुलने पर शेयरों की पहली कीमत बन जाती है। आज की गिरावट से पता चलता है कि शुरुआती कारोबार में कुछ बिकवाली का दबाव देखने को मिल सकता है। हालांकि, यह सिर्फ शुरुआती संकेत है और पूरे दिन बाजार का रुझान बदल सकता है।
मुख्य जानकारी :
प्री-ओपन ट्रेड में गिरावट का मतलब है कि बाजार खुलने से पहले ही निवेशकों में थोड़ी सावधानी या नकारात्मक भावना दिख रही है। यह गिरावट वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेतों, किसी विशेष क्षेत्र से जुड़ी नकारात्मक खबरों, या फिर घरेलू आर्थिक आंकड़ों के कारण हो सकती है। जब निफ्टी जैसे प्रमुख इंडेक्स नकारात्मक खुलते हैं, तो इसका असर आमतौर पर कई शेयरों पर पड़ता है, खासकर उन शेयरों पर जो इंडेक्स का हिस्सा हैं। बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और कुछ बड़े कैप शेयरों में शुरुआती गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि प्री-ओपन ट्रेड में वॉल्यूम कम होता है, इसलिए यह गिरावट हमेशा पूरे दिन के रुझान को नहीं दर्शाती।
निवेश का प्रभाव :
यदि आप एक निवेशक हैं, तो प्री-ओपन ट्रेड में गिरावट को लेकर घबराने की ज़रूरत नहीं है। यह सिर्फ एक शुरुआती संकेत है। निवेशकों को पूरे दिन के बाजार के रुझान, वैश्विक संकेतों और प्रमुख आर्थिक खबरों पर नज़र रखनी चाहिए। यदि आप नए निवेश की सोच रहे हैं, तो बाजार में और स्थिरता आने का इंतजार करना समझदारी हो सकती है। जिन शेयरों में पहले से ही निवेश है, उन पर किसी भी तरह का जल्दबाजी में फैसला लेने से बचें। विशेषज्ञ अक्सर सलाह देते हैं कि छोटी अवधि की अस्थिरता पर ध्यान देने के बजाय, लंबी अवधि के निवेश लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें। कुछ निवेशक इस तरह की शुरुआती गिरावट को खरीदारी का अवसर भी मानते हैं, खासकर उन गुणवत्ता वाले शेयरों में जो लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं।