लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) में ज़िंक के रद्द वारंट में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। वारंट, गोदाम में रखे धातु के मालिकाना हक को दर्शाते हैं। जब कोई व्यापारी वारंट रद्द करता है, तो इसका मतलब है कि वह गोदाम से धातु निकालने का इरादा रखता है।
ज़िंक के रद्द वारंट में 47,800 टन की बढ़ोतरी हुई है, जो 2015 के बाद से एक दिन में सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। यह बढ़ोतरी ज़िंक की आपूर्ति में कमी की ओर इशारा करती है, क्योंकि व्यापारी अपने ज़िंक स्टॉक को बाजार से हटा रहे हैं।
मुख्य जानकारी :
- ज़िंक के रद्द वारंट में यह बढ़ोतरी ज़िंक की मांग में बढ़ोतरी और आपूर्ति में कमी का संकेत देती है।
- यूरोप में ऊर्जा संकट के कारण ज़िंक उत्पादन में कमी आई है, जिससे ज़िंक की उपलब्धता कम हुई है।
- चीन में ज़िंक की मांग बढ़ रही है, जिससे वैश्विक बाजार में ज़िंक की कीमतों में तेजी आ सकती है।
निवेश का प्रभाव :
- ज़िंक की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है, इसलिए ज़िंक उत्पादक कंपनियों के शेयरों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
- Hindustan Zinc जैसी भारतीय कंपनियां, जो ज़िंक का उत्पादन करती हैं, इस बढ़ोतरी से लाभान्वित हो सकती हैं।
- निवेशकों को ज़िंक से जुड़े एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) पर भी नज़र रखनी चाहिए।
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