भारतीय नौसेना के लिए छह नई पनडुब्बियां बनाने की रेस में अब सिर्फ़ एक ही कंपनी बची है – Mazagaon Dockyard. यह कंपनी जर्मनी की Thyssenkrupp Marine Systems के साथ मिलकर काम करेगी। पहले इस परियोजना में Larsen & Toubro (L&T) भी शामिल थी, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उनकी बोली को खारिज कर दिया है।
यह प्रोजेक्ट 70,000 करोड़ रुपये का है, और इसके तहत बनने वाली पनडुब्बियां ‘air-independent propulsion’ तकनीक से लैस होंगी, जिससे वे पानी के अंदर ज़्यादा देर तक रह सकेंगी। Mazagaon Dockyard पहले भी Scorpene श्रेणी की पनडुब्बियां बना चुका है, और अब Thyssenkrupp के साथ मिलकर यह और भी आधुनिक पनडुब्बियां बनाएगा।
मुख्य जानकारी :
- Mazagaon Dockyard को बड़ा फायदा: L&T के बाहर होने से Mazagaon Dockyard को इस बड़े प्रोजेक्ट में काफी फ़ायदा होगा। कंपनी के शेयरों में तेज़ी देखने को मिल सकती है।
- रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: यह प्रोजेक्ट भारत के लिए ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को मज़बूत करने का एक और मौका है।
- Thyssenkrupp की तकनीक: Thyssenkrupp दुनिया की अग्रणी पनडुब्बी निर्माता कंपनियों में से एक है। इसकी तकनीक से भारत को अपनी नौसेना को और मज़बूत बनाने में मदद मिलेगी।
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