सूत्रों के अनुसार, दिसंबर और नवंबर में रूस के पश्चिमी बंदरगाहों से तेल निर्यात में 100,000 बैरल प्रति दिन (bpd) की गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे यह लगभग 1.8 मिलियन bpd हो जाएगा।
मुख्य जानकारी :
- तेल की आपूर्ति में कमी: रूस से तेल निर्यात में कमी से वैश्विक तेल बाजार में आपूर्ति कम हो सकती है।
- तेल की कीमतों में बढ़ोतरी: आपूर्ति में कमी के कारण तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे पेट्रोल और डीजल महंगा हो सकता है।
- भारत पर प्रभाव: भारत, रूस से तेल का एक प्रमुख खरीदार है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत का आयात बिल बढ़ सकता है और मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- ऊर्जा क्षेत्र में निवेश: तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों, जैसे ONGC और Reliance Industries, को फायदा हो सकता है।
- मुद्रास्फीति से जुड़े निवेश: बढ़ती मुद्रास्फीति के मद्देनजर, सोना जैसे सुरक्षित निवेशों पर विचार किया जा सकता है।