महिंद्रा एंड महिंद्रा (एम एंड एम) जैसी ऑटोमोबाइल कंपनियां अभी भी इस बात का इंतजार कर रही हैं कि सरकार यूटिलिटी व्हीकल्स (UVs) पर लगने वाले सेस के बारे में स्पष्ट जानकारी कब देगी। हाल ही में GST काउंसिल ने UVs की नई परिभाषा तय की है, जिसके हिसाब से 4 मीटर से ज़्यादा लंबी, 1500cc से ज़्यादा इंजन क्षमता वाली और 170mm से ज़्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस वाली गाड़ियों को UV माना जाएगा। इन गाड़ियों पर 28% GST के साथ 22% का सेस भी लगेगा।
लेकिन, अभी तक यह साफ नहीं है कि इस बदलाव से कौन सी गाड़ियां प्रभावित होंगी। कंपनियां सरकार की आधिकारिक अधिसूचना का इंतजार कर रही हैं जिसमें UV की परिभाषा और सेस के बारे में पूरी जानकारी होगी। एम एंड एम के प्रवक्ता ने बताया है कि कंपनी इस बदलाव का अध्ययन कर रही है और आधिकारिक अधिसूचना आने के बाद ही इस बारे में कुछ कह पाएगी।
मुख्य जानकारी :
- GST काउंसिल ने UVs की नई परिभाषा तय की है, जिससे कुछ गाड़ियों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- अभी तक यह साफ नहीं है कि कौन सी गाड़ियां इस नई परिभाषा के दायरे में आएंगी, क्योंकि सरकार ने अभी तक आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है।
- ऑटोमोबाइल कंपनियां, जैसे एम एंड एम, इस अधिसूचना का इंतजार कर रही हैं ताकि वे अपनी कीमतों और रणनीति में ज़रूरी बदलाव कर सकें।
- इस बदलाव से UV सेगमेंट में मांग पर असर पड़ सकता है, क्योंकि कुछ गाड़ियां महंगी हो सकती हैं।
निवेश का प्रभाव :
- एम एंड एम जैसी कंपनियों के शेयरों पर इस खबर का असर पड़ सकता है। निवेशकों को अधिसूचना आने तक इंतजार करना चाहिए और फिर कंपनी के बयानों और बाजार के रुझानों का अध्ययन करके निवेश का फैसला लेना चाहिए।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर में निवेश करने वाले लोगों को इस बदलाव पर नज़र रखनी चाहिए और इसके संभावित प्रभावों को समझना चाहिए।