जेपी मॉर्गन, एक बड़ी वित्तीय सेवा कंपनी, ने अनुमान लगाया है कि 2025-2026 तक दुनिया भर में कृषि वस्तुओं के दामों में काफी उतार-चढ़ाव रहेगा। इसका मतलब है कि गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन जैसी चीज़ों के दाम कभी ऊपर जाएंगे, कभी नीचे।
इसके पीछे कई कारण हैं:
- मौसम का असर: बारिश, सूखा, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का उत्पादन कम हो सकता है, जिससे दाम बढ़ सकते हैं।
- रूस-यूक्रेन युद्ध: यह युद्ध अभी भी दुनिया भर में अनाज की सप्लाई को प्रभावित कर रहा है, जिससे दामों में अनिश्चितता बनी हुई है।
- ऊर्जा के दाम: तेल और गैस के दाम बढ़ने से खेती की लागत बढ़ती है, जिसका असर फसलों के दामों पर भी पड़ता है।
- सरकारों की नीतियां: अगर सरकारें अनाज के निर्यात पर रोक लगाती हैं या आयात को बढ़ावा देती हैं, तो दामों में बदलाव आ सकता है।
मुख्य जानकारी :
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट बताती है कि आने वाले समय में खाने-पीने की चीज़ों के दामों में स्थिरता नहीं रहेगी। यह आम आदमी के लिए चिंता की बात है क्योंकि महंगाई बढ़ सकती है। किसानों के लिए भी यह मुश्किल समय हो सकता है क्योंकि उन्हें लागत बढ़ने और दामों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा।
निवेश का प्रभाव :
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। कृषि से जुड़ी कंपनियों, जैसे खाद बनाने वाली, बीज बेचने वाली, या खाने-पीने की चीज़ें बनाने वाली कंपनियों के शेयरों के दामों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
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