इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 में चीन में तेल की मांग लगातार छठे महीने घट गई है। इससे पता चलता है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई हुई है। चीन में कमज़ोर आर्थिक विकास और इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण तेल की मांग में कमी आई है। IEA ने 2025 के लिए चीन की तेल मांग में वृद्धि के अनुमान को भी कम कर दिया है।
मुख्य जानकारी :
- चीन की सुस्ती: चीन की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती का असर पूरी दुनिया में दिख रहा है। तेल की मांग में कमी इसका एक बड़ा संकेत है।
- इलेक्ट्रिक वाहन: चीन में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है, जिससे पेट्रोल-डीजल की खपत कम हो रही है।
- वैश्विक प्रभाव: चीन दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। उसकी मांग में कमी से तेल उत्पादक देशों पर दबाव बढ़ेगा और कच्चे तेल की कीमतें कम हो सकती हैं।
निवेश का प्रभाव :
- तेल कंपनियां: चीन में तेल की मांग में कमी से तेल कंपनियों के शेयरों पर दबाव बन सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा: इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते इस्तेमाल से इन क्षेत्रों में निवेश के अवसर बढ़ सकते हैं।
- भारतीय बाजार: चीन की सुस्ती का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है, खासकर उन कंपनियों पर जो चीन को निर्यात करती हैं।