कल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी गई। अमेरिकी क्रूड ऑयल (WTI) 74 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया, जबकि ब्रेंट क्रूड 76 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर कारोबार कर रहा था।
इस उछाल के पीछे कई कारण हैं:
- ओपेक+ द्वारा उत्पादन में कटौती: तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक+ ने उत्पादन में कटौती का फैसला किया है, जिससे तेल की आपूर्ति कम हो गई है।
- अमेरिका में कड़ाके की ठंड: अमेरिका में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जिससे हीटिंग ऑयल की मांग बढ़ गई है।
- चीन में कोविड प्रतिबंधों में ढील: चीन में कोविड प्रतिबंधों में ढील के बाद तेल की मांग बढ़ने की उम्मीद है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
मुख्य जानकारी :
तेल की कीमतों में यह उछाल भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए चिंता का विषय है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई और बढ़ सकती है। इसका असर परिवहन, उत्पादन और कई दूसरे क्षेत्रों पर पड़ सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- तेल और गैस कंपनियों के शेयर: तेल की कीमतों में तेजी से तेल और गैस कंपनियों, जैसे ONGC और Reliance Industries, के शेयरों में तेजी आ सकती है।
- ऑटोमोबाइल शेयर: पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से ऑटोमोबाइल कंपनियों के शेयरों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- FMCG शेयर: महंगाई बढ़ने से FMCG कंपनियों, जैसे Hindustan Unilever और ITC, के मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
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