तेल बाजार के जानकारों का मानना है कि OPEC+ समूह, जिसमें सऊदी अरब और रूस जैसे बड़े तेल उत्पादक देश शामिल हैं, दिसंबर में तेल उत्पादन बढ़ाने की अपनी योजना को फिर से टाल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन जैसे देशों में तेल की मांग कमजोर है और दुनिया में तेल की सप्लाई बढ़ रही है, जिससे तेल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
OPEC+ ने पहले ही सितंबर में तेल उत्पादन में 2.2 मिलियन बैरल प्रति दिन की कटौती करने का फैसला किया था, जिसे धीरे-धीरे कम किया जाना था। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि यह कटौती दिसंबर 2024 तक जारी रह सकती है।
मुख्य जानकारी :
- कमजोर मांग: दुनिया भर में, खासकर चीन में, तेल की मांग उम्मीद से कम है।
- बढ़ती सप्लाई: OPEC+ देशों के बाहर तेल का उत्पादन बढ़ रहा है, जिससे बाजार में तेल की अधिकता हो रही है।
- कीमतों पर दबाव: मांग कम और सप्लाई ज्यादा होने से तेल की कीमतें नीचे आ रही हैं। OPEC+ उत्पादन में कटौती करके कीमतों को स्थिर रखना चाहता है।
निवेश का प्रभाव :
- तेल कंपनियों के शेयर: अगर OPEC+ उत्पादन नहीं बढ़ाता है, तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे तेल उत्पादक कंपनियों, जैसे ONGC और Reliance Industries, के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है।
- पेट्रोलियम उत्पाद: तेल की कीमतें बढ़ने से पेट्रोल और डीजल के दाम भी बढ़ सकते हैं, जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
- मुद्रास्फीति: तेल की बढ़ती कीमतें मुद्रास्फीति को और बढ़ा सकती हैं, जिससे RBI को ब्याज दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ सकता है।