OPEC+ देशों का समूह, जिसमें सऊदी अरब और रूस जैसे बड़े तेल उत्पादक देश शामिल हैं, कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी को लेकर चर्चा कर रहा है। पहले यह बढ़ोतरी जनवरी 2025 से शुरू होनी थी, लेकिन अब चर्चा है कि इसे 3 महीने के लिए टाला जाए। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि दुनिया में तेल की मांग कम है और अगर उत्पादन बढ़ा दिया गया तो तेल के दाम बहुत गिर सकते हैं।
मुख्य जानकारी :
- तेल की कीमतों पर दबाव: दुनिया में तेल की मांग कम होने से तेल की कीमतों पर दबाव है।
- OPEC+ की भूमिका: OPEC+ देशों का समूह मिलकर तेल के उत्पादन को नियंत्रित करता है ताकि तेल की कीमतें स्थिर रहें।
- 3 महीने की देरी का प्रस्ताव: ज़्यादातर OPEC+ देश 3 महीने की देरी के प्रस्ताव पर सहमत हैं।
निवेश का प्रभाव :
- तेल कंपनियों के शेयर: अगर उत्पादन में देरी होती है तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे तेल कंपनियों (ONGC, Reliance Industries) के शेयरों में तेजी आ सकती है।
- पेट्रोल और डीजल की कीमतें: तेल की कीमतें बढ़ने से पेट्रोल और डीजल भी महंगा हो सकता है।
- मुद्रास्फीति: तेल के दाम बढ़ने से चीज़ों के दाम बढ़ सकते हैं (मुद्रास्फीति)।
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