रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डॉलर बेचकर रुपये को गिरने से बचाने की कोशिश कर रहा है। इसके साथ ही, RBI आगे के सौदों (forward contracts) के ज़रिए डॉलर खरीद भी रहा है। इसका मतलब है कि RBI अभी डॉलर बेच रहा है लेकिन भविष्य में एक तय कीमत पर डॉलर खरीदने का वादा भी कर रहा है। इससे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में स्थिरता आ रही है। 1 साल के डॉलर/रुपये फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का इम्प्लاید यील्ड 2% से नीचे आ गया है, जो अगस्त के बाद पहली बार हुआ है।
मुख्य जानकारी:
- RBI का हस्तक्षेप: RBI रुपये में ज़्यादा उतार-चढ़ाव नहीं चाहता, इसलिए वो बाजार में दखल दे रहा है। डॉलर बेचकर वो रुपये की मांग बढ़ा रहा है, जिससे उसकी कीमत गिरने से बच रही है।
- फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल: फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए RBI भविष्य में डॉलर खरीदने का वादा कर रहा है। इससे बाजार में डॉलर की सप्लाई बढ़ने की उम्मीद बनती है, जिससे आगे चलकर रुपये पर दबाव कम हो सकता है।
- इम्प्लاید यील्ड में गिरावट: 1 साल के डॉलर/रुपये फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट का इम्प्लاید यील्ड 2% से नीचे आ गया है। इसका मतलब है कि बाजार को उम्मीद है कि आगे चलकर रुपया मज़बूत होगा।
निवेश निहितार्थ:
- रुपये में स्थिरता: RBI के इस कदम से रुपये में स्थिरता आने की उम्मीद है। यह उन निवेशकों के लिए अच्छी खबर है जो विदेशी मुद्रा में निवेश करते हैं या आयात-निर्यात का काम करते हैं।
- ब्याज दरों पर असर: RBI के इस कदम का असर ब्याज दरों पर भी पड़ सकता है। अगर रुपया मज़बूत होता है, तो RBI को ब्याज दरें बढ़ाने की ज़रूरत कम पड़ेगी।
- शेयर बाजार पर प्रभाव: रुपये में स्थिरता से विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है, जिससे शेयर बाजार में तेज़ी आ सकती है।