रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) डॉलर को बेचकर और रुपये को खरीदकर बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है। इसका मतलब है कि RBI रुपये को गिरने से बचाने की कोशिश कर रहा है। ऐसा करने के लिए, RBI “डॉलर-रुपया बाय/सेल स्वैप” कर रहा है। इसका मतलब है कि RBI आज डॉलर बेच रहा है और भविष्य में उसे वापस खरीदने का वादा कर रहा है। इससे डॉलर की कीमत कम होती है और रुपया मजबूत होता है।
मुख्य जानकारी :
- रुपये में गिरावट: पिछले कुछ समय से रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिर रही है। यह कई कारणों से हो रहा है, जैसे कि अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से पैसा निकालना।
- RBI का हस्तक्षेप: RBI रुपये को स्थिर रखने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है। डॉलर-रुपया स्वैप के जरिए RBI बाजार में डॉलर की आपूर्ति बढ़ा रहा है, जिससे उसकी कीमत कम हो रही है।
- फॉरवर्ड प्रीमियम में गिरावट: RBI के इस कदम से “फॉरवर्ड प्रीमियम” में गिरावट आई है। फॉरवर्ड प्रीमियम भविष्य में डॉलर खरीदने की कीमत और आज की कीमत के बीच का अंतर होता है।
निवेश का प्रभाव :
- आयातकों के लिए अच्छी खबर: रुपया मजबूत होने से आयातकों को फायदा होगा क्योंकि उन्हें आयात के लिए कम रुपये देने होंगे।
- निर्यातकों के लिए थोड़ी चिंता: रुपया मजबूत होने से निर्यातकों को थोड़ा नुकसान हो सकता है क्योंकि उन्हें अपने उत्पादों के लिए कम डॉलर मिलेंगे।
- बाजार में स्थिरता: RBI के हस्तक्षेप से बाजार में स्थिरता आ सकती है और रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव कम हो सकता है।
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