रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकों के लिए कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। इसका मतलब है कि अब बैंकों को अपने पास कम नकदी रखनी होगी और उनके पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पैसे उपलब्ध होंगे।
CRR वह हिस्सा होता है जो बैंकों को अपनी जमा राशि का RBI के पास रखना होता है। CRR कम होने से बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा होगा, जिससे ब्याज दरें कम हो सकती हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता है।
मुख्य जानकारी :
- CRR में कमी से बैंकों के पास उधार देने के लिए अधिक पैसा होगा।
- इससे ब्याज दरें कम हो सकती हैं और लोगों के लिए कर्ज लेना आसान हो सकता है।
- इससे अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ सकती हैं और विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
- यह कदम महंगाई को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- CRR में कटौती से बैंकिंग सेक्टर को फायदा हो सकता है।
- इससे बाजार में liquidiy बढ़ सकती है और शेयर बाजार में तेजी आ सकती है।
- रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिल सकता है, क्योंकि कर्ज सस्ता होने से इन क्षेत्रों में मांग बढ़ सकती है।
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