श्रीलंका की नई सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ हुई एक बड़ी बिजली परियोजना को रद्द कर दिया है। यह परियोजना श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम में पवन ऊर्जा से बिजली बनाने की थी, जिसकी लागत लगभग 44.2 करोड़ डॉलर थी।
यह फैसला भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद लिया गया है। श्रीलंका के पिछले राष्ट्रपति, गोटाबाया राजपक्षे, पर आरोप है कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर बिना किसी निविदा प्रक्रिया के यह परियोजना अडानी ग्रुप को दे दी थी।
इसके अलावा, अडानी ग्रुप पर अमेरिका में भी रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं, जिसके बाद श्रीलंका की नई सरकार ने सभी अडानी परियोजनाओं की जांच करने का फैसला किया है।
मुख्य जानकारी :
- श्रीलंका में यह मामला भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है।
- अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों से भारत और श्रीलंका के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है।
- इस घटना से अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट देखी जा सकती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने वाली दूसरी कंपनियों पर भी इसका असर पड़ सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- निवेशकों को अडानी ग्रुप के शेयरों में सावधानी बरतनी चाहिए।
- इस घटना का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है, इसलिए बाजार की गतिविधियों पर नजर रखें।
- राजनीतिक और आर्थिक जोखिमों को ध्यान में रखते हुए निवेश के फैसले लें।
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