सुप्रीम कोर्ट ने इंडस टावर्स के AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाया में “miscalculation” यानी गड़बड़ी के मामले में भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की याचिका खारिज कर दी है। इसका मतलब है कि इन कंपनियों को AGR के जो पैसे सरकार को देने हैं, वो अब देने ही होंगे, भले ही उन्हें लगे कि इसमें कुछ गलती हुई है। कोर्ट ने कहा है कि पहले के आदेश में कोई बदलाव नहीं होगा। ये मामला AGR बकाए की गणना से जुड़ा है, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है।
मुख्य जानकारी :
ये खबर टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक झटका है, खासकर वोडाफोन आइडिया के लिए, जो पहले से ही आर्थिक मुश्किलों से जूझ रही है। AGR बकाया चुकाने का दबाव इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति को और खराब कर सकता है। हालांकि, इससे सरकार को फायदा होगा, क्योंकि उसे बकाया राशि मिलेगी। इस फैसले का असर इंडस टावर्स पर भी पड़ेगा, क्योंकि ये टावर कंपनी इन टेलीकॉम कंपनियों पर निर्भर है। अगर टेलीकॉम कंपनियों की हालत खराब होती है, तो इंडस टावर्स को भी नुकसान हो सकता है।
निवेश का प्रभाव :
इस खबर का सबसे बड़ा असर वोडाफोन आइडिया के शेयरों पर पड़ सकता है। निवेशकों को वोडाफोन आइडिया में निवेश करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। भारती एयरटेल पर भी थोड़ा असर हो सकता है, लेकिन कंपनी की स्थिति वोडाफोन आइडिया से बेहतर है। इंडस टावर्स के शेयर भी प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए निवेशकों को इस पर भी ध्यान रखना चाहिए। कुल मिलाकर, इस खबर से टेलीकॉम सेक्टर में अनिश्चितता बढ़ सकती है।
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