सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें BMC को वर्ली में सेंचुरी कॉटन टेक्सटाइल मिल की 5 एकड़ ज़मीन आदित्य बिड़ला ग्रुप को देने को कहा गया था। यह ज़मीन 1927 में गरीबों के लिए घर बनाने के लिए 28 साल के लिए 1 रुपये सालाना किराए पर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि BMC ज़मीन आदित्य बिड़ला ग्रुप को देने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि लीज एग्रीमेंट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट को कंपनी की याचिका पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए थी क्योंकि यह 60 साल की देरी से दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी चिंता जताई कि गरीबों के लिए दी गई ज़मीन का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कैसे किया जा रहा है।
मुख्य जानकारी :
- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आदित्य बिड़ला ग्रुप को बड़ा झटका लगा है।
- BMC अब इस ज़मीन पर अपना दावा कर सकती है।
- इस फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर में अनिश्चितता बढ़ सकती है, खासकर मुंबई में।
निवेश का प्रभाव :
- आदित्य बिड़ला रियल एस्टेट के शेयरों में गिरावट देखी जा सकती है।
- निवेशकों को रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।
- इस मामले पर आगे की कार्रवाई और इसके नतीजों पर नज़र रखना ज़रूरी है।
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