हाल ही में, अमेरिका के एक संगठन, अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट (API) ने बताया कि पिछले हफ्ते अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार कम हो गया है। उन्होंने कहा कि 4 अप्रैल, 2025 को खत्म हुए हफ्ते में कच्चे तेल का भंडार 1.057 मिलियन बैरल घट गया। इससे पहले वाले हफ्ते में, यानी 28 मार्च, 2025 को खत्म हुए हफ्ते में, यह भंडार 6.037 मिलियन बैरल बढ़ा था। इसका मतलब है कि पिछले हफ्ते जितना तेल इस्तेमाल हुआ, उतना निकाला नहीं गया, इसलिए भंडार में कमी आई है।
मुख्य जानकारी :
इस खबर का मतलब है कि अमेरिका में कच्चे तेल की मांग बढ़ रही है या फिर तेल की सप्लाई में कुछ कमी आई है, जिसकी वजह से भंडार खाली हो रहा है। जब कच्चे तेल का भंडार घटता है, तो आमतौर पर तेल की कीमतें बढ़ने लगती हैं, क्योंकि बाजार में तेल कम होता है। यह खबर इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि API का यह डेटा अमेरिकी सरकार की एजेंसी, एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (EIA) के आधिकारिक आंकड़ों से पहले आता है, और अक्सर यह EIA के आंकड़ों का एक शुरुआती संकेत देता है। इसलिए, बाजार के खिलाड़ी इस रिपोर्ट पर ध्यान देते हैं।
निवेश का प्रभाव :
अगर कच्चे तेल का भंडार घटता रहता है, तो तेल कंपनियों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, क्योंकि इससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और उनकी कमाई में इज़ाफ़ा हो सकता है। ओएनजीसी (ONGC) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) जैसी भारतीय तेल कंपनियों पर भी इसका असर पड़ सकता है, खासकर अगर वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ती हैं। निवेशकों को इस खबर को दूसरे बाजार के आंकड़ों, जैसे कि कच्चे तेल की पिछली कीमतों के रुझान और वैश्विक आर्थिक स्थिति के साथ जोड़कर देखना चाहिए। अगर दुनिया की अर्थव्यवस्था अच्छी चल रही है, तो तेल की मांग और बढ़ सकती है, जिससे तेल की कीमतों में और तेज़ी आ सकती है। इसलिए, तेल और गैस क्षेत्र में निवेश करने वाले लोगों को इस खबर पर नज़र रखनी चाहिए।