आज, अमेरिकी कच्चे तेल का वायदा 60.42 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जो कि 1.63 डॉलर या 2.63% की गिरावट है। इसका मतलब है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है। यह गिरावट इसलिए हुई क्योंकि निवेशकों को चिंता है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध बढ़ सकता है, जिससे तेल की मांग कम हो सकती है। इसके अलावा, यह भी उम्मीद है कि ओपेक देश तेल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं, जिससे भी कीमतें नीचे आ सकती हैं।
मुख्य जानकारी :
कच्चे तेल की कीमतों में यह गिरावट दो मुख्य कारणों से हुई है। पहला कारण यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कुछ देशों से आयात पर ज़्यादा टैक्स लगाने की बात कही है, जिससे दुनिया भर में व्यापार कम हो सकता है। अगर व्यापार कम होगा, तो लोग और कंपनियाँ कम तेल इस्तेमाल करेंगे, जिससे तेल की मांग घट जाएगी। दूसरा कारण यह है कि ओपेक (OPEC) नाम के देशों का समूह, जो दुनिया में बहुत सारा तेल बेचता है, शायद अब ज़्यादा तेल बनाएगा। अगर ज़्यादा तेल बाज़ार में आएगा, तो कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी। इन दोनों बातों का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है।
निवेश का प्रभाव :
तेल की कीमतों में इस गिरावट का असर उन कंपनियों पर पड़ सकता है जो तेल बेचती हैं, जैसे कि ऑयल इंडिया या रिलायंस इंडस्ट्रीज। अगर तेल की कीमतें गिरती रहेंगी, तो इन कंपनियों को कम मुनाफा हो सकता है। दूसरी तरफ, जिन कंपनियों को तेल की ज़रूरत होती है, जैसे कि पेंट बनाने वाली या हवाई जहाज चलाने वाली कंपनियाँ, उन्हें फायदा हो सकता है क्योंकि उनके लिए तेल सस्ता हो जाएगा। निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि व्यापार की खबरें और ओपेक के फैसले तेल की कीमतों को आगे भी प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, सोच-समझकर निवेश करना ज़रूरी है।