अमेरिका में कच्चे तेल का बेंचमार्क, वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड, अक्टूबर के बाद पहली बार 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया है। ऐसा अमेरिका में क्रूड ऑयल के भंडार में कमी आने की खबरों के चलते हुआ है। अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट (API) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले हफ्ते क्रूड ऑयल का भंडार 40 लाख बैरल से ज़्यादा कम हुआ है, जो कि अनुमान से कहीं ज़्यादा है। अगर सरकारी आंकड़े भी इसी बात की पुष्टि करते हैं, तो यह लगातार चौथे हफ्ते क्रूड ऑयल के भंडार में गिरावट होगी।
तेल की कीमतों में यह तेज़ी रूस और ईरान पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण वैश्विक आपूर्ति में कमी के चलते भी आई है। इससे मध्य पूर्वी देशों के तेल की मांग बढ़ी है।
मुख्य जानकारी :
- WTI क्रूड का भाव बढ़ने से पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में भी इज़ाफ़ा हो सकता है।
- तेल उत्पादक कंपनियों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि इससे उनका मुनाफा बढ़ सकता है।
- तेल आयात करने वाले देशों, जैसे भारत, पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे उनका आयात बिल बढ़ेगा।
निवेश का प्रभाव :
- तेल और गैस क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में तेज़ी देखने को मिल सकती है।
- ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को भी फायदा हो सकता है।
- हालांकि, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई भी बढ़ सकती है, जिसका असर शेयर बाज़ार पर नकारात्मक हो सकता है।
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