इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया भर में कोयले की मांग अगले कुछ सालों तक बढ़ती रहेगी। 2027 तक यह मांग नये रिकॉर्ड बना सकती है। एशियाई देशों में बिजली की बढ़ती ज़रूरत और कमज़ोर जल विद्युत उत्पादन के कारण कोयले की खपत बढ़ रही है।
हालांकि, अच्छी खबर यह है कि कई विकसित देशों में कोयले की खपत कम हो रही है। यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे देशों में तो इस साल कोयले के इस्तेमाल में काफ़ी गिरावट देखी गई है।
IEA का अनुमान है कि 2023 में दुनिया भर में कोयले की खपत 8.74 बिलियन टन तक पहुँच सकती है। यह एक नया रिकॉर्ड होगा।
मुख्य जानकारी :
- एशिया में बढ़ती मांग: चीन और भारत जैसे एशियाई देशों में बिजली की ज़रूरत तेज़ी से बढ़ रही है। इन देशों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास उतनी तेज़ी से नहीं हो रहा है, जिससे कोयले पर निर्भरता बनी हुई है।
- विकसित देशों में गिरावट: यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे विकसित देशों में पर्यावरण संरक्षण के लिए कोयले का इस्तेमाल कम किया जा रहा है।
- रिकॉर्ड उत्पादन: चीन में कोयले का उत्पादन भी बढ़ रहा है, जिससे दुनिया भर में कोयले की आपूर्ति बढ़ सकती है।
निवेश का प्रभाव :
- कोयला कंपनियों में तेज़ी: कोयले की बढ़ती मांग से कोयला कंपनियों के शेयरों में तेज़ी देखी जा सकती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश: लंबी अवधि में, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश ज़्यादा फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा की ओर रुझान बढ़ रहा है।
- जोखिम: कोयले से जुड़े शेयरों में निवेश करते समय पर्यावरण संबंधी नियमों और नीतियों में बदलाव का ध्यान रखना ज़रूरी है।
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