सारांश:
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत चल रही है, लेकिन भारत के डेयरी क्षेत्र को लेकर गतिरोध बना हुआ है। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया है कि डेयरी क्षेत्र भारत के लिए संवेदनशील है क्योंकि यह छोटे किसानों की आजीविका से जुड़ा है। इसलिए, किसी भी FTA में डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत देने का कोई इरादा नहीं है।
मुख्य अंतर्दृष्टि:
भारत का रुख: भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह डेयरी क्षेत्र में किसी भी तरह की रियायत नहीं देगी, भले ही इसके कारण FTA बाधित हो जाए।
डेयरी क्षेत्र का महत्व: भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और डेयरी क्षेत्र लाखों किसानों की आजीविका का साधन है। सरकार इस क्षेत्र को किसी भी तरह के नुकसान से बचाना चाहती है।
EU का दबाव: EU भारत के डेयरी बाजार तक पहुँच चाहता है और इसके लिए FTA में शुल्क रियायतों पर जोर दे रहा है।
निवेश निहितार्थ:
FTA का भविष्य: डेयरी क्षेत्र पर गतिरोध के कारण FTA पर बातचीत अभी अनिश्चित है।
डेयरी कंपनियों पर प्रभाव: FTA न होने से भारतीय डेयरी कंपनियों को EU के बाजार में प्रवेश करने में मुश्किल होगी, लेकिन घरेलू बाजार में उनकी स्थिति मजबूत रहेगी।
कृषि क्षेत्र: सरकार का यह रुख कृषि क्षेत्र, खासकर डेयरी किसानों के लिए सकारात्मक है।