सारांश:
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के बीच थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट्स के लिए ज़ोरदार मुकाबला चल रहा है। L&T ने हाल ही में बताया है कि वह सिर्फ़ “बॉयलर, टर्बाइन और जनरेटर” (BTG) वाले टेंडर में ही हिस्सा लेगा। क्योंकि ज़्यादातर नए प्रोजेक्ट “इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन” (EPC) मोड पर आधारित हैं, इसलिए L&T उनमें बोली नहीं लगाएगा।
मुख्य अंतर्दृष्टि:
- BTG बनाम EPC: थर्मल पावर प्लांट बनाने के दो मुख्य तरीके हैं – BTG और EPC। BTG में, कंपनी सिर्फ़ मुख्य उपकरण (बॉयलर, टर्बाइन, जनरेटर) सप्लाई करती है। EPC में, कंपनी पूरे प्लांट के डिज़ाइन, निर्माण और संचालन की ज़िम्मेदारी लेती है।
- L&T का फ़ैसला: L&T का फ़ैसला दिखाता है कि कंपनी अपनी रणनीति बदल रही है। वह अब सिर्फ़ उन्हीं प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लेगी जहाँ उसे अपनी तकनीकी क्षमता का पूरा फ़ायदा मिले।
- BHEL के लिए अवसर: L&T के इस फ़ैसले से BHEL को फ़ायदा हो सकता है। BHEL को EPC प्रोजेक्ट्स में ज़्यादा टेंडर मिलने की संभावना है।
निवेश निहितार्थ:
- BHEL के शेयरों में तेज़ी: निवेशकों को BHEL के शेयरों पर नज़र रखनी चाहिए। कंपनी को आने वाले समय में ज़्यादा ऑर्डर मिल सकते हैं, जिससे उसके मुनाफ़े में इज़ाफ़ा हो सकता है।
- L&T पर नज़र रखें: हालांकि L&T ने EPC टेंडर से पीछे हटने का फ़ैसला किया है, लेकिन कंपनी की मज़बूत स्थिति और विविध कारोबार को देखते हुए, निवेशक उसके शेयरों पर भी ध्यान दे सकते हैं।
- सरकार की नीतियाँ: भारत सरकार थर्मल पावर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। निवेशकों को इस क्षेत्र से जुड़ी सरकारी नीतियों पर भी नज़र रखनी चाहिए।