NOCIL लिमिटेड, जो रबर केमिकल बनाने वाली एक बड़ी भारतीय कंपनी है, ने चीन, यूरोपीय संघ और अमेरिका से आने वाले सल्फेनामाइड्स एक्सेलेरेटर के आयात पर एंटी-डंपिंग जांच शुरू करने की मांग की है।
एंटी-डंपिंग जांच तब शुरू की जाती है जब किसी देश को लगता है कि कोई दूसरा देश जानबूझकर अपने उत्पादों को बहुत कम दामों पर बेच रहा है, जिससे स्थानीय उद्योग को नुकसान हो रहा है।
NOCIL का कहना है कि इन देशों से सस्ते दामों पर सल्फेनामाइड्स एक्सेलेरेटर आयात किए जा रहे हैं, जिससे भारत में इस केमिकल को बनाने वाली कंपनियों को नुकसान हो रहा है। अगर जांच में यह बात सही पाई जाती है, तो सरकार इन देशों से आने वाले सल्फेनामाइड्स एक्सेलेरेटर पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा सकती है, जिससे इनके दाम बढ़ जाएंगे और भारतीय कंपनियों को बचाया जा सकेगा।
मुख्य जानकारी :
- डंपिंग: डंपिंग का मतलब है कि कोई देश अपने उत्पादों को दूसरे देश में इतने कम दाम पर बेचता है कि उस देश के स्थानीय उत्पादकों को नुकसान होता है।
- एंटी-डंपिंग ड्यूटी: यह एक तरह का टैक्स होता है जो आयातित सामानों पर लगाया जाता है ताकि उनके दाम बढ़ जाएं और वे स्थानीय उत्पादों से सस्ते न रहें।
- NOCIL: यह एक भारतीय कंपनी है जो रबर केमिकल बनाती है, और सल्फेनामाइड्स एक्सेलेरेटर भी इन्हीं में से एक है।
- प्रभाव: अगर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जाती है, तो इससे चीन, यूरोपीय संघ और अमेरिका से सल्फेनामाइड्स एक्सेलेरेटर का आयात महंगा हो जाएगा, जिससे NOCIL जैसी भारतीय कंपनियों को फायदा हो सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- NOCIL के शेयर: अगर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जाती है, तो NOCIL के शेयरों की कीमत बढ़ सकती है क्योंकि इससे कंपनी को फायदा होगा।
- रबर उद्योग: सल्फेनामाइड्स एक्सेलेरेटर रबर बनाने में इस्तेमाल होता है, इसलिए इस पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी का असर रबर उद्योग पर भी पड़ सकता है।
- निवेशकों के लिए: निवेशकों को इस मामले पर नज़र रखनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि जांच का क्या नतीजा निकलता है। अगर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई जाती है, तो NOCIL में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।
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