OPEC+ देशों के तेल मंत्री 1 दिसंबर को होने वाली अपनी बैठक अब ऑनलाइन करेंगे। पहले यह बैठक वियना में होने वाली थी, लेकिन अब ऐसा लगता है कि यह लगातार तीसरी बार वर्चुअल होगी। इस बैठक में तेल उत्पादन बढ़ाने की योजना पर चर्चा होनी है, जिसे पहले अक्टूबर से जनवरी तक के लिए टाल दिया गया था।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि OPEC+ अगले साल तेल उत्पादन नहीं बढ़ाएगा क्योंकि इससे तेल की कीमतें और गिर सकती हैं। अभी तेल की कीमतें लगभग 80 डॉलर प्रति बैरल हैं, और अगर उत्पादन बढ़ाया जाता है तो यह 60 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकती हैं।
मुख्य जानकारी :
- तेल की कीमतों पर दबाव: अगर OPEC+ तेल उत्पादन बढ़ाता है, तो तेल की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इससे भारत जैसे तेल आयातक देशों को फायदा होगा, लेकिन तेल उत्पादक देशों को नुकसान हो सकता है।
- मांग में कमी: चीन जैसे बड़े देशों में तेल की मांग कम होने की आशंका है, जिससे तेल की कीमतों पर और दबाव बन सकता है।
- OPEC+ की रणनीति: OPEC+ देशों को तेल की कीमतों और अपनी अर्थव्यवस्थाओं के बीच संतुलन बनाना होगा।
निवेश का प्रभाव :
- तेल कंपनियों के शेयर: अगर तेल की कीमतें गिरती हैं, तो तेल कंपनियों (जैसे ONGC, Reliance Industries) के शेयरों में गिरावट आ सकती है।
- ऑटोमोबाइल कंपनियों के शेयर: तेल की कीमतें गिरने से पेट्रोल और डीजल सस्ता होगा, जिससे ऑटोमोबाइल कंपनियों (जैसे Maruti Suzuki, Tata Motors) के शेयरों में तेजी आ सकती है।
- मुद्रास्फीति: तेल की कीमतें गिरने से मुद्रास्फीति कम हो सकती है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है।
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