भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने साफ कर दिया है कि भारत में रुपये की विनिमय दर बाजार द्वारा तय होती है। इसका मतलब है कि रुपये की कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से ऊपर-नीचे होती रहती है। RBI किसी खास स्तर या सीमा को ध्यान में रखकर रुपये की कीमत को नियंत्रित नहीं करता है।
हालांकि, RBI बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए कभी-कभी हस्तक्षेप करता है। जब रुपये में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है, तो RBI डॉलर खरीदकर या बेचकर बाजार को संतुलित करने की कोशिश करता है।
मुख्य जानकारी :
- RBI का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि भारत एक ‘प्रबंधित फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट’ व्यवस्था का पालन करता है, जहाँ रुपये की कीमत मुख्य रूप से बाजार की ताकतों से तय होती है, लेकिन RBI ज़रूरत पड़ने पर हस्तक्षेप कर सकता है।
- इससे यह भी पता चलता है कि RBI रुपये के मूल्य को लेकर किसी खास लक्ष्य का पीछा नहीं कर रहा है। बाजार की गतिविधियों के आधार पर रुपया मजबूत या कमजोर हो सकता है।
निवेश का प्रभाव :
- विदेशी मुद्रा बाजार में निवेश करने वालों को रुपये में उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए।
- आयात-निर्यात करने वाली कंपनियों को भी रुपये की कीमत में बदलाव का ध्यान रखना होगा, क्योंकि इससे उनके मुनाफे पर असर पड़ सकता है।
- यह खबर उन निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो विदेशी शेयरों या बॉन्ड में निवेश करते हैं, क्योंकि रुपये की कीमत में बदलाव से उनके रिटर्न पर असर पड़ सकता है।