दोस्तों, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता जा रहा है। आज यह 85.8150 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ रही हैं और दुनिया भर के निवेशक अपना पैसा वहां लगा रहे हैं। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं जिससे भारत को ज़्यादा डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं।
मुख्य जानकारी :
- डॉलर की मजबूती: अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से डॉलर दुनिया भर में मजबूत हो रहा है।
- कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें: कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत का आयात बिल बढ़ रहा है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ रहा है।
- विदेशी निवेशकों का निकासी: विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं, जिससे रुपये में गिरावट आ रही है।
निवेश का प्रभाव :
- आयात करने वाली कंपनियों पर असर: रुपये के कमजोर होने से आयात करने वाली कंपनियों (जैसे, इलेक्ट्रॉनिक्स, तेल कंपनियां) के लिए सामान महंगा हो जाएगा, जिससे उनका मुनाफा कम हो सकता है।
- निर्यात करने वाली कंपनियों को फायदा: रुपये के गिरने से निर्यात करने वाली कंपनियों (जैसे, आईटी, फार्मा) को फायदा हो सकता है क्योंकि उन्हें डॉलर के मुकाबले ज़्यादा रुपये मिलेंगे।
- महंगाई बढ़ने का खतरा: रुपये के कमजोर होने से पेट्रोल-डीजल और दूसरी चीज़ों के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
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